क्रिकेटर या फिर मदारी
अरविंद झा
कुछ राय सुन लीजिये. मै भी सुन रहा हूं
बाज़ार के बारे में मुझे कोई ज्ञान नहीं इसलिए मैं ज्यादा कुछ कह नहीं सकता. लेकिन हाँ,ये क्रिकेट क्रिटिक्स मुझे फूटी आँख नहीं सुहाते.मक्ग्राथ,डोनाल्ड और वॉर्न भी अब तक सचिन कि कमजोरी नहीं ढूंढ पाए और ये टटपुन्जिये सेवानिवृत्त क्रिकेटरों कि जमात उस कमजोरी को ढूँढने का दावा करते हैं. छोटे क्रिकेटर का मुह ज्यादा बड़ा होता है. हमने कभी कपिल देव या सुनील गावस्कर को किसी प्लेयर कि बुराई करते नहीं सुना,शायद इसीलिए वो लोग महान हैं . पर वो क्रिकेटर जिन्होंने जीवन में कुछ नहीं किया वे बड़े बड़े क्रिकेटरों के बारे में अनापशनाप बकते हैं तो बुरा लगता है. एक जमात आजकल भविष्यवक्ताओं की भी पैदा हो चुकी है, न्यूज़ चैनल पर अब हर बात में इनकी भी राय ली जाने लगी है. भारत के मीडिया का हाल केंकड़े से भरे ड्रम जैसा हो गया है, मीडिया आगे निकलने का प्रयास करता है तो चैनल उसे सौ साल पीछे ले जाने का प्रयास करने लगते हैं.
इन को अनदेखा भी नहीं कर सकते, चौबीसों घंटे किसी न किसी चैनल पर बहस जारी रहती है.जो कभी पर्थ में खेला नहीं वो कहता है कि भारत के जीतने का कोई चांस नहीं. जो खुद कमाने कि जुगत में भिडा है वो दूसरों को इनवेस्टमेंट के गुर सिखाता है, जिसके खुद के भूतकाल का पता नहीं वो हमारा भविष्य बताता है.चैनल कहते हैं कि ये पब्लिक कि डिमांड है, हम कहते हैं कि भाई हम क्या पब्लिक से अलग हैं,हमें तो ये सब नहीं पसंद.वे कोई न कोई बहाना ढूंढ लेते हैं.एक
"सनसनी" से निपटे नहीं थे अब तो हर चैनल सनसनाने लगा है.सावधान करने का मकसद लेकर शुरू हुआ था,अब हर चैनल पर डराने लगा है(ये भी एक तरह की कविता है).
अभी तो ये शुरुआत है साहब, आगे तो लगता है कि समाचार देखने के लिए शायद हमें वापस डी डी १ की शरण में जाना होगा.
दरअसल ये सिलसिला शुरू हुआ, दोस्तो के बीच बहस से, कि ये चैनल वाले किस राह पर है, और जनता को जनता की मांग के नाम पर कंहा ले जायेंगे...चैनलो की माने तो तीन चींजे बिकती है- क्रिकेट, क्राइम और सैक्स—क्रिकेट के शो मे ज्यादातर दोयम दर्जे के क्रिकेटर भरे है...जो अपने समय कुछ नही कर पाये वो आज पांडित्य बखार रहे है, सारी भडास निकाल रहे है..खुद ही शो होस्ट करने लगे है...ये क्रिकेटर बाइट देने के लिये क्रांट्रेक्ट साइन करते है...फंला क्रिकेटर फंला चैनल से जुडा है...ये ही ट्रेंड रहा तो नेता लोग भी चैनलो से साइन करने लगे, अंदाजा लगाइये कि आपको मालूम चले कि प्रधानमंत्री
DD, NDTV STAR NEWS , ZEE NEWS से जुडे हैं..क्राइम शो करने के लिये कैसे कैसे एंकरो की भर्ती होने लगी है, वो समाचार कम देते हैं, मनोरंजन ज्यादा करते है...क्या ये भागदौड क्रिमनल्स को भी चैनलो तक पंहुचा देगी, जरा सोचिये कि सरेंडर कर चुके अपराधी क्राइम शो होस्ट कर रहे हैं...बबलू श्रीवास्तव दाउद इब्राहिम के गुर्गे जो संरेंडर कर चुके है...वो शो होस्ट कर रहे है..जनता को बता रहे है कि क्राइम कैसे किया गया होगा, चाकू, गोली कैसे मारी गयी होगी...सवाल ये है कि दागी क्रिकेटर या दोयम दर्जे के क्रिकेटर्स से शो करवा कर क्या वैल्यू एडीशन हो रहा है...यदि अजय जडेजा एनडीटीवी पर शो करते नजर आये तो अजहरूद्दीन का क्या दोष है,यदि वसीम अकरम ईएसपीएन में कमेंट्री कर सकते है, तो सलीम मलिक का क्या कसूर है...ये ट्रेंड अजीब है...ये दोड कंहा ले जायेगी, क्रेकेटर्स को हमारे बच्चे अपना आदर्श समझते है...यदि खेल को बेचकर ये लोग ईमानदार क्रिकेटर्स पर उगली उठा सकते है तो होस्ट बनकर ज्यादा बेडा गर्क करेंगे....सोचना सब को चाहिये....
अरविंद पुराना दोस्त है, अकसर मीडिया पर चर्चा कर सकता है,,पिछले कुछ दिनो से ज्याद दुखी था, मैने कहा कि इंडिया बोल के लिये लिख मारो, तो उसने कर दिया ...आपके सामने पेश है
कुछ राय सुन लीजिये. मै भी सुन रहा हूं
बाज़ार के बारे में मुझे कोई ज्ञान नहीं इसलिए मैं ज्यादा कुछ कह नहीं सकता. लेकिन हाँ,ये क्रिकेट क्रिटिक्स मुझे फूटी आँख नहीं सुहाते.मक्ग्राथ,डोनाल्ड और वॉर्न भी अब तक सचिन कि कमजोरी नहीं ढूंढ पाए और ये टटपुन्जिये सेवानिवृत्त क्रिकेटरों कि जमात उस कमजोरी को ढूँढने का दावा करते हैं. छोटे क्रिकेटर का मुह ज्यादा बड़ा होता है. हमने कभी कपिल देव या सुनील गावस्कर को किसी प्लेयर कि बुराई करते नहीं सुना,शायद इसीलिए वो लोग महान हैं . पर वो क्रिकेटर जिन्होंने जीवन में कुछ नहीं किया वे बड़े बड़े क्रिकेटरों के बारे में अनापशनाप बकते हैं तो बुरा लगता है. एक जमात आजकल भविष्यवक्ताओं की भी पैदा हो चुकी है, न्यूज़ चैनल पर अब हर बात में इनकी भी राय ली जाने लगी है. भारत के मीडिया का हाल केंकड़े से भरे ड्रम जैसा हो गया है, मीडिया आगे निकलने का प्रयास करता है तो चैनल उसे सौ साल पीछे ले जाने का प्रयास करने लगते हैं.
इन को अनदेखा भी नहीं कर सकते, चौबीसों घंटे किसी न किसी चैनल पर बहस जारी रहती है.जो कभी पर्थ में खेला नहीं वो कहता है कि भारत के जीतने का कोई चांस नहीं. जो खुद कमाने कि जुगत में भिडा है वो दूसरों को इनवेस्टमेंट के गुर सिखाता है, जिसके खुद के भूतकाल का पता नहीं वो हमारा भविष्य बताता है.चैनल कहते हैं कि ये पब्लिक कि डिमांड है, हम कहते हैं कि भाई हम क्या पब्लिक से अलग हैं,हमें तो ये सब नहीं पसंद.वे कोई न कोई बहाना ढूंढ लेते हैं.एक
"सनसनी" से निपटे नहीं थे अब तो हर चैनल सनसनाने लगा है.सावधान करने का मकसद लेकर शुरू हुआ था,अब हर चैनल पर डराने लगा है(ये भी एक तरह की कविता है).
अभी तो ये शुरुआत है साहब, आगे तो लगता है कि समाचार देखने के लिए शायद हमें वापस डी डी १ की शरण में जाना होगा.
दरअसल ये सिलसिला शुरू हुआ, दोस्तो के बीच बहस से, कि ये चैनल वाले किस राह पर है, और जनता को जनता की मांग के नाम पर कंहा ले जायेंगे...चैनलो की माने तो तीन चींजे बिकती है- क्रिकेट, क्राइम और सैक्स—क्रिकेट के शो मे ज्यादातर दोयम दर्जे के क्रिकेटर भरे है...जो अपने समय कुछ नही कर पाये वो आज पांडित्य बखार रहे है, सारी भडास निकाल रहे है..खुद ही शो होस्ट करने लगे है...ये क्रिकेटर बाइट देने के लिये क्रांट्रेक्ट साइन करते है...फंला क्रिकेटर फंला चैनल से जुडा है...ये ही ट्रेंड रहा तो नेता लोग भी चैनलो से साइन करने लगे, अंदाजा लगाइये कि आपको मालूम चले कि प्रधानमंत्री
DD, NDTV STAR NEWS , ZEE NEWS से जुडे हैं..क्राइम शो करने के लिये कैसे कैसे एंकरो की भर्ती होने लगी है, वो समाचार कम देते हैं, मनोरंजन ज्यादा करते है...क्या ये भागदौड क्रिमनल्स को भी चैनलो तक पंहुचा देगी, जरा सोचिये कि सरेंडर कर चुके अपराधी क्राइम शो होस्ट कर रहे हैं...बबलू श्रीवास्तव दाउद इब्राहिम के गुर्गे जो संरेंडर कर चुके है...वो शो होस्ट कर रहे है..जनता को बता रहे है कि क्राइम कैसे किया गया होगा, चाकू, गोली कैसे मारी गयी होगी...सवाल ये है कि दागी क्रिकेटर या दोयम दर्जे के क्रिकेटर्स से शो करवा कर क्या वैल्यू एडीशन हो रहा है...यदि अजय जडेजा एनडीटीवी पर शो करते नजर आये तो अजहरूद्दीन का क्या दोष है,यदि वसीम अकरम ईएसपीएन में कमेंट्री कर सकते है, तो सलीम मलिक का क्या कसूर है...ये ट्रेंड अजीब है...ये दोड कंहा ले जायेगी, क्रेकेटर्स को हमारे बच्चे अपना आदर्श समझते है...यदि खेल को बेचकर ये लोग ईमानदार क्रिकेटर्स पर उगली उठा सकते है तो होस्ट बनकर ज्यादा बेडा गर्क करेंगे....सोचना सब को चाहिये....
अरविंद पुराना दोस्त है, अकसर मीडिया पर चर्चा कर सकता है,,पिछले कुछ दिनो से ज्याद दुखी था, मैने कहा कि इंडिया बोल के लिये लिख मारो, तो उसने कर दिया ...आपके सामने पेश है
टिप्पणियाँ
iske saath hi litrature ki us burjua mansikta se uuper uuthna hoga jo jaipur litrature fest.me hamare so called elite english budhijiveo ne rajasthni novalists ke sath barti. tabhi hamara vikash hoga aur tabhi hamari identity banagi.