गुस्सा सांतवे आसमान पर


आज से कुछ साल पहले एक फिल्म आयी थी, सत्या..जो काफी चर्चित रही थी। इसी फिल्म का गाना था गोली मार भेजे में, ये भेजा शोर करता है। इसे लिखा था मशहुर गीतकार गुलजार ने, वही गुलजार जिन्होने 70 और 80 के दशक में शायरी और कविता लिखी थी, सजना है मुझे सजना के लिये, मेरा कुछ सामान पडा है लोटा दो, या फिर जिंन्दगी कैसी है पहेली हाय रे. वही गुलजार 90 के दशक तक आते आते गोली मार भेजे में लिखते है, बीडी जलइले जिगर से पीया, जिगर में बडी आग है। लेखक की पकड है,ये कह सकते है आप , लेकिन ये समाज की तस्वीर भी दिखाता है कि जिगर में आग है, भेजा शोर करता है, ये भेजा गर्म है, जरा सी बात पर भडक जाता है। गोली मारने पर उतारू हो जाता है। तस्वीर का नया पहलू है, लेकिन सवाल ये कि क्यों आखिर इतना गु्स्सा है आज लोगों में, क्यों जरा-जरा सी बात पर मरने मारने पर उतारू हो जाते है। इसलिए हम पूछ रहे हैं...इतना गुस्सा!
समाज में बढ़ती हिंसा और आम लोगों का बढ़ता गुस्सा इंसानियत को शर्मशार कर रहा है....कुछ धटनाये देखिये....दिल्ली से सटे अलीपुर में जहां बारातियों ने एक बच्चे को जिंदा जला दिया...दूसरी घटना में गोवा से ग्वालियर जा रही निज़ामुद्दीन सुपर फास्ट ट्रेन से 4 लोगों को नीचे फेंक दिया गया...जिसमें एक बारह साल का बच्चा भी शामिल है....और इस घटना को अंजाम दिया छात्रों की एक टोली ने....तीसरी घटना पंजाब के गुरदासपुर की है जहां साहिब सिंह नाम के एक फौजी का स्कूटर मोटरसाइकिल से टकरा गया। इसके बाद मोटरसाइकिल पर सवार लड़कों ने अपने साथियों के साथ साहिब सिंह की जमकर पिटाई की। बेहरम पिटाई से साहिब सिंह की मौत हो गई। क्या सिस्टम के फेल होने के चलते लोग इतने नाराज है। कहते है कि 70 के दशक की शुरूआत में सलीम-जावेद की जोडी ने जब एंग्री यंग मैन का किरदार गडा था, तो ये उस वक्त की सामाजिक स्थित को दर्शाता था. ..लोग तब के राजनैतिक माहौल से उब गये थे। लेकिन आज तो परिस्थितियां पहले से बेहतर है। आर्थिक मोर्च पर हम पहले से बेहतर है। फिर इतना गुस्सा क्यो...गुस्से के इस समाजशास्त्र या फिर मनोविज्ञान को समझना होगा।

टिप्पणियाँ

अच्छा लेख है.
लेकिन सजना है मुझे सजना के लिये रवीन्द्र जैन ने लिखा था.
बेनामी ने कहा…
गुलज़ार ने चड्डी पहना के फूल भी खिलाया है, और ओंकारा के गाने में नालियों में खून भी बहाया है

भाई, ये हर रंग के शायर है, इनका क्या कहना, बस पढ़िये

समाज में हर वक्त अच्छा बुरा सब कुछ था, बस लोग बदले हैं जी
Ghost Buster ने कहा…
आप तो बहुत ही गुस्सा दिखते हैं अनुराग भाई. ऐसा रोषपूर्ण आलेख.
अच्छा लगा , बधाईयाँ !

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