इंडिया शाइनिंग, लेकिन फौज की चमक फीकी


तादाद के हिसाब से दुनिया में चीन के बाद नंबर आता है हिन्दुस्तानी फौज का..14 लाख 15 हजार की तदाद वाली हिन्दुस्तानी फौज में फिलहाल आफिसर्स की खासी कमी है..सेना में जरुरत से 14500 आफिसर कम है..सेना की ताकत पर सीधे असर डालने वाले इस नुक्ते का नाजुक पहलू यह कि कैप्टन और मेजर रैंक पर 11450 अधिकारी कम हैं..इस तथ्य की ताकिद खुद जनरल कपूर ने की...खुले बाजार और चमकते शापिंग माल के इस दौर में मीडिया और मैनेजमेंट जैसे मोटी तनख्वाह वाले पेशे की तरफ खींचता मध्यवर्ग सेना में जाने को खास तवज्जो नहीं देता...इस साल नेशनल डिफेंस अकेडमी में 300 कैडेट की जगह थी लेकिन ट्रेनिंग के लिए आए महज 190 कैडेट..इंडियन मिलेट्री अकेडमी भी कैडेट की कमी की मार झेल रहा है..वहां हालत इतनी बुरी कि कोर्स वैकेंसी थी 250 कैडेट की मगर ट्रेनिंग के लिए आए महज 86 कैडेट..सेना की नौकरी में कम वेतन देख नौजवान अपने सपने दूसरे पेशे में तलाश रहे हैं...यही कारण रहा कि अप्रैल 2007 में जनरल जे जे सिंह ने छठे वेतन आयोग से कहा कि सैनिकों का वेतन पांच गुणा बढ़ाया जाए... यह कम वेतन ही है कि सेना के अधिकारी वक्त से पहले रिटायरमेंट लेकर निजी सुरक्षा गार्ड के बढ़ते बाजार में मोटी तनख्वाह तलाश रहे है...सेना सन् 2000 से प्री मैच्योर्ड रिटायरमेंट की नई परेशानी झेल रही है.. पिछले 3 सालों में 5000 आफिसर्स रिटायरमेंट की अर्जी दे चुके हैं... लेकिन बात सिर्फ फौजियों की तदाद पर नहीं थमती...हिन्दुस्तानी फौज के आगे एक बड़ी परेशानी फौजी साजो-सामान की कमी की है...बोफोर्स कांड के बाद सेना में आर्टिलरी गन नहीं आए हैं..सेना को 155 एम एम की 400 तोपों और 130 एम एम की भी 400 तोपों की सख्त जरुरत है.... आफिसर्स और फौजी साजो सामान की कमी झेलने वाली हिन्दुस्तानी फौज का मनोविज्ञान खतरे की घंटी बजा रहा है।बीते पांच सालों में सेना के 456 जवानों ने खुदकुशी की तो अकेले 2007 में सेना में खुदकशी के 162 मामले दर्ज हुए...सेना में सीनियर अधिकारियों पर गोली चलाने की घटनाओं में भी इजाफा हो रहा है..ऐसी घटनाओं में पिछले साल की निस्बत इस 2007 में 7 फीसदी की वृद्धि हुई...यू एन मिशन की रिपोर्ट में दुनिया की बेहतरीन सेना के रुप में दर्ज हिन्दुस्तानी फौज में घोटालों और भ्रष्टाचार के किस्से भी जब-तब उछलते रहते हैं...करगिल की लड़ाई के समय ताबूत घोटाला का किस्सा आम हुआ..इसकी याद अभी देश के मन में ताजा है..... हाल की एक फिल्म अजनबी में अमिताभ बच्चन फौज की नोकरी छोड़कर एक बच्चे का बाडीगार्ड बनते नजर आए..लाख टके का सवाल यह कि क्या फौज का रुतबा एन आर आई करेंसी के इस दौर में इतना घट गया कि कोई कर्नल किसी व्यापारी के बच्चे का बाडी गार्ड बनता नजर आए।

टिप्पणियाँ

harsh ने कहा…
Defence services hamesha se hi meri pahli prathmikta rahi hai, aaj bhi prayasrat hun. Pichhali bar ssb interview ka conferance day bhi attend ki tha. Chail Militry School, Solan (HP) ka bhagoda hun. ye sach hai ki yuwaon ka rujhan fauj ki taraf kam hai, magar fauj apni quality ke sath koi samjhauta nahi karta, kam se kam officers ke mamale me to bilkul bhi nahi. Tabhi to selection test me lakhon candidates ke aane ke bawjood bhi NDA/IMA ki 200 seaten bhi puri nahi hotin. Desh me berojgar etne bhi kam nahi hue hain. Das hazar seat ek minat me bhara ja sakta hai. lekin aapka ye kahna bilkul sahi hai ki aaj paisa fauj ki roylty par bhi hawi hai. Officers khud fauj se palayan kar rahe hain. mere bhaiya bhi capt. hain, magar dilli me ek sadharan makan ke liye bhi soch rahe hain ki paisa kahan se laun. Unka rutba fauj tak hi hai. Log to punjipujak hain. Etna fare selection hone ke baad bhi fauj me corruption hai. Amitabh wala examp. achchha hai.

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