वित्त मंत्री के दफ्तर में सेंध


वित्त मंत्री के दफ्तर में सेंध लगाने की कोशिश को लेकर सरकार की खुफिया एजेंसियों में एक राय नहीं। अब हम आपको बताते हैं कि वित् मंत्रालय के दफ्तर में सेंध करने में किसकी दिलचस्पी हो सकती है।
प्रणब मुखर्जी देश के वित्त मंत्री हैं, इस नाते उनके पास बजट बनाने से लेकर देश के लिए ऐसे नियम और कानून बनाने के अख्तियार हैं जिससे कॉरपोरेट दुनिया का हर रोज साबका पड़ता है। अब हम आपको बताते हैं कि क्यों च्विइंगगम के चक्कर से हलकान हो रही है सरकार। दरअसल प्रधानमंत्री के बाद प्रणब मुखर्जी कैबिनेट के सबसे वरिष्ठ सदस्य हैं, इस नाते वो 50 से ज्यादा EGOM यानी एंपावर्ड ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स के वो अध्यक्ष हैं। दरअसल वित्त मंत्री के जिस टेबल के किनारे च्विइंग गम चिपकी हुई मिली है उस टेबल पर रखे होते हैं सरकार के कुछ सबसे अहम कागजात।
कालेधन को वापस लाने की कार्रवाई
12 सौ से ज्यादा मामलों का ब्योरा
50 हजार करोड़ की केयर्न वेदांता डील
डीजल, एलपीजी की कीमत से संबंधित कागजात
चीनी और कपास के निर्यात पर लगी रोक को लेकर सरकार की नीति
जाति की जनगणना से संबंधित कागजात
लोकपाल से संबंधित कागजात

1.इनमें सबसे अहम है कालेधन पर सरकार की कार्रवाई से संबंधित कागजात। दुनिया के दूसरे देशों से काले धन की वापसी को लेकर किए जा रहे करार, अवैध फंड का पता लगाने के लिए देश के अंदर तैयार हो रहे सिस्टम और इस मामले में देश के दुश्मनों पर दर्ज 12 सौ से ज्यादा मामलों का ब्योरा इसी टेबल पर रहता है।
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पचास हजार करोड़ की केयर्न वेदांता डील की फाइल भी इसी टेबल पर अरसे तक रही है। इस डीलको इजीओएम के मुखिया के तौर पर प्रणब मुखर्जी ने पिछले महीने की 28 तारीख को मंजूरी देकर कैबिनेट को वापस भेजा था।
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पेट्रोलियम की कीमत खास कर डीजल, एलपीजी की सबसिडी मसले पर सरकार के नीतिगत दस्तावेज इसी टेबल पर होते हैं।
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चीनी और कपास के निर्यात पर लगी रोक को लेकर सरकार की नीति भी इसी टेबल पर तय होती है।
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जाति की जनगणना से संबंधित कागजात यहीं हैं।
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यही नहीं जिस लोकपाल को लेकर सरकार पशोपेश में है उसकी ड्राफ्टिंग कमेटी की तमाम रिपोर्ट भी इसी टेबल पर मौजूद होती है।
यही वजह है कि अब विपक्ष भी इस मसले पर सरकार की ओर से साफ जवाब की मांग कर रहा है।
ये मामला इसलिए भी बेहद संगीन है क्योंकि जिस वक्त वित्त मंत्री के दफ्तर में सेंध लगाने की साजिश हो रही थी उसी दौरान चीन के खुफिया ठिकानों से पीएमओ के साथ साथ नेशनल सिक्योरिटी एडवायजर के दफ्तर के कंप्यूटर नेटवर्क को ट्रोजन वायरस के जरिए हैक करने की साजिश भी लगातार हो रही थी।
इसी तरह 4दिसंबर को पाकिस्तानी हैकर्स की ओर से सीबीआई समेत देश के 270 अहम वेबसाइट्स को हैक करने की बात भी सामने आई थी। परेशानी इसलिए भी है क्योंकि देश के अहम ठिकानों को महफूज बनाने की जिम्मेदारी सरकार ने जिस एनटीआरओ यानी नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑरगनाइजेशन और डीआईए यानी डिफेंस इंटेलीजेंस एजेंसी को खास तौर पर दी है, उसके मुखिया का नाम भी अब तक सरकार तय नहीं कर पाई है।

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