फादर डे पर मिश्टू के लिए


धरती के पिताओं को समर्पित एक खास दिन, जिसे Father’s day कहते हैं, जो आज है, उसे celebrate करने आपके समक्ष उपस्थित हैं। दुनिया में जितने भी लोग हैं सबके सब मां की कोख से जनमे हैं और उनकी परवरिश पिता के साये में हुई हैं, वो कुछ बच्चे जिन्हें पिता का सरक्षण जिस किसी भी कारण से नहीं मिल पाया, हम मानते हैं उन्हें ईश्वर की कृपा नहीं मिली। प्राकृतिक रुप से संरक्षण और पोषण का दायित्व पिता के कंधों पर ही रहा है और पिता उसे आदिकाल से निभाते आ रहे हैं और उसी का परिणाम है, आज हम एक संगठित और अनुशासित समाज में सांसे ले रहे हैं।
मुद्दे एक सवाल सुनने को मिला, हम हिन्दुस्तानी father’s day क्यों मनाते हैं, ये तो होली, दीवाली, ईद, बकरीद, क्रिस्मस आदि मनानेवाले लोग हैं। सच है। हम कुछ साल पहले तक father’s day कहाँ मनाते थे ? हमारी रगों में जिसका खुन प्रवाहित होता है, जिसके कंधो पर झुलकर हम बड़े हुए, जो हमारी जिंदगी की नींव है और बुलंद ईमारत भी, उन्हें सम्मान देने के लिए हमें किसी खास दिन की जरुरत नहीं थी। पश्चिम देशों को थी, वहाँ father’s day सन 1909 से ही मनाया जा रहा है –
लेकिन आज father’s day हमारी भी जरुरत है। शायद आपने उन वृदाश्राम की तस्वीर देखी हो, जहाँ सक्षम पुत्रो के पिता भी रहने को मजबुर हैं शायद आपने देखा हो एक पिता किस मुस्तैदी और लगन से पाँच – पाँच बच्चों को पालता है और वे पाँच मिलकर भी एक पिता के सम्मान की रक्षा नहीं कर पाते , उनके बुढ़ापे की लाठी नहीं बन पाते.....शायद आपने महसुस किया हो जिस रफ्तार ते भौतिक सुख के कारण पति – पत्नी अलग हो रहे हैं, हम एक fatherless society की तरफ बढ़ रहे हैं....सच में जरुरत हैं, जरुरत है father’s day celebrate करने की, समाज को याद दिलाने की – कि पिता की अहमियत क्या है – हम सब अपने पिता के संतान हैं और अपनी संतानों के पिता भी है :- child is the father of man….universal truth है –
हम सब professionally कुछ भी हों लेकिन अपनी संतान के लिए पिता ही हैं और इस तरह दुनिया के सारे पिता एक हैं, एक जैसे हैं। आज मौका है । मैं भी एक पिता हूँ, एक प्यारी सी बिटिया है मेरी उसके लिए कुछ शब्द मैनें चुराये हैं, हमारी सहयोगी सीमा जी ने लिखी है –
वो परी का रुप है
कड़कती ठण्ड में सुहानी धूप है
ये उदासी की हर मर्ज की दवा है
उमस में शीतल हवा है
चिड़ियों की चहचहाहट है
निश्चल खिलखिलाहट है
आंगन में फैला उजियाला है
मेरे गुस्से में लगा ताला है
वो मेरी जिंदगी है, मेरी परी है
मैं पिता हूँ, क्योंकि वो मेरी बेटी है ।

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