हेडली का असली रूप

दाऊद गिलानी से डेविड कोलमैन हेडली बनने की कहानी ही बयां कर देती है आतंक और पाकिस्तान के रिश्ते को... हेडली की ज़िंदगी में अगर पाकिस्तान नाम शुमार हुआ... तो वो सिर्फ और सिर्फ दहशतगर्दी के लिए....
इससे पहले दहशत ने कभी इतनी दूरी तय नहीं की थी
51 साल का हेडली दहशत की नई पीढ़ी है
अपने राज्य या अपने देश में वारदात को अंजाम देनवालों से दूर हेडली के निशाने पर 12681 मील दूर मुंबई था तो 6324 मील दूर डेनमार्क।
अमेरिका में रहनेवाले किसी शख्स ने अब तक एक साथ एशिया और यूरोप में दहशत की वारदात को अंजाम देने की साजिश नहीं की थी। लेकिन डेविड कोलमैन हेडली कोई आम अमेरिकी नहीं था। उसकी पैदाईश जरुर वाशिंगटन में हुई थी, फिर भी पाकिस्तानी पिता और अमेरिका मां के इस बेटे का सारा बचपन पाकिस्तान के लाहौर में परंपरावादी, रुढ़िवादी और बेहद धार्मिक माहौल में बीता। 1977 में पाकिस्तान में सेना ने सत्ता संभाल ली। सेरिल को अपने बच्चों की चिंता हुई, वो पाकिस्ताई आई और हेडली को लेकर फिलाडेल्फिया लौट आई। होश संभालने के बाद 17 साल के हेडली की अपनी मां से ये पहली मुलाकात थी। फिलाडेल्फिया हेडली के लिए अनजाना शहर था। ऐसा शहर जहां उसे कोई नहीं जानता था, और ये वो शहर था जहां उसकी मां खैबर पास के नाम से एक बार चलाती थी।
हेडली के लिए ये दो विरोधी संस्कृतियों का संघर्ष था। उसे अपनी मां से, अमेरिका से नफरत हो गई और इस्लाम के उन रुढिवादी संस्कारों से मोहब्बत जिन्हें वो लाहौर में छोड़ आया था।
वो बिल्कुल खुलकर कहा करता था कि उसे काफिरों से नफरत है। वो हमेशा 14वीं शती की बातें करता था। वो कहता था कि वो दिन दूर नहीं जब सारी दुनिया पर इस्लाम का कब्जा होगा।
ख्वाब देखना उसकी फितरत था लेकिन जिंदगी जीने के लिए ख्वाब देखना ही काफी नहीं था काम करना भी जरुरी था। 42 साल की उम्र तक हेडली बेरोजगार था। कभी बार में तो कभी वीडियो कैसेट की दुकान में कामकर वो किसी तरह गुजर बसर कर रहा था। अब तक उसके ऊपर हेरोइन की स्मगलिंग का इल्जाम साबित हो चुका था और वो 15 महीने जेल भी काट चुका था। लेकिन फरवरी 2002 में हेडली की जिंदगी बदल गई। उसकी जिंदगी बदली जार्ज बुश ने। नाइन इलेवन के बाद जार्ज बुश की नई नीति के मुताबिक सीआईए को नए एजेंटों खासकर मुस्लिमों की भर्तियां करने का हुक्म दिया गया। बेरोजगार हेडली सीआईए का एजेंट बन गया। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के सफर के दौरान हेडली महज ड्रग्स के तस्करों के करीब ही नहीं आया, वो साजिद मीर, अब्दुर रहमान पाशा और इलियास कश्मीरी जैसे दहशतगर्दों के करीब भी आया। 2002 और 2003 में उसने लश्कर के कई ट्रेनिंग कैंप्स में शिरकत की। अब हेडली डबल एजेंट बन गया। वो पाकिस्तान में सीआईए का एजेंट था तो अमेरिका में लश्कर का पहला आतंकी । अब हेडली को फिलाडेल्फिया में वीडियो की दुकान चलाने की जरूरत नहीं थी। उसके ऊपर रुपया बरस रहा था। सीआईए उसे पाकिस्तान और अफगानिस्तान में खर्च करने के लिए अमेरिकन एक्सप्रेस के नो लिमिट वाले क्रेडिट कार्ड मुहैया करा रही थी तो भारत में रेकी करने के लिए हेडली को लश्कर इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड मुहैया करा रही थी। सितंबर 2006 से जुलाई 2008 के बीच हेडली नौ बार भारत के दौरे पर आया । 26-11 की साजिश का काम पूरा हो चुका था। लेकिन हेडली इतने पर ही खामोश नहीं बैठा । अब उसके निशाने पर एक साथ दो शहर थे दिल्ली और कोपनहेगन। प्रोजेक्ट कराची और ऑपरेशन मिकीमाउस शुरु हो चुका था।
लेकिन 3 अक्टूबर 2009 को एफबीआई ने उसे शिकागो के ओहायर इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर तब गिरफ्तार कर लिया जब पाकिस्तान में इलियास कश्मीरी से मिलने हेडली पाकिस्तान जाने की तैयारी कर रहा था।

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