इनकी क्या खता

दिनेश गौतम
पाकिस्तान में जो हुआ, उसने एक टेस्ट मैच को ही खत्म नहीं किया... देश में क्रिकेट के खेल का वजूद खतरे में आ गया है... जब विदेशी टीमें नहीं आएंगी, तो खेल की सुविधाओं पर असर पड़ेगा... जब खेल खराब होगा, खिलाड़ियों की पीढ़ी पर असर पड़ेगा... खतरे में आ जाएगा सरहद पार जेन्टलमेन्स गेम का वजूद...
कल तक खेल था... खिलाड़ी थे... मैदान फिर भी वीरान था... कोशिशें हो रही थीं... लुभावने वायदे हो रहे थे... कि कल तक क्रिकेट के नाम पर खिंचे चले वाले क्रिकेट के दीवाने फिर चल निकलें स्टेडियम की डगर... सब खत्म हो गया चंद लम्हों के खूनी खेल में...
खेल के लिए जुनून पहले ही मिटने लगा था दहशत के पनाहगार मुल्क में... आतंक के जिस सांप को आस्तीन में पाल रहे थे... उसी ने डस लिया... खतरे में आ गया है उस खेल का वजूद, जो सरहद पार भी हर पार्क, हर मैदान, हर गली, हर नुक्कड़ पर बड़ी संजीदगी से खेला जाता रहा है...
पाकिस्तान की क्रिकेट के लिए संजीवनी बनकर आया था श्रीलंका... जख्मी होकर लौटे श्रीलंकाई खिलाड़ी गहरे जख्म छोड़कर गए हैं पाकिस्तान की क्रिकेट पर...
ऐसे जख्म जो क्रिकेटर्स की नई पीढ़ी के लिए साबित हो सकते हैं नासूर...
अब कौन आएगा पाकिस्तान... क्या मकसद रह जाएगा जेन्टलमेन्स गेम का... क्या मायने रह जाएंगे इस खेल के पाकिस्तान के लिए...
कहां से मिलेंगे क्रिकेटिंग हीरो, क्रिकेटर्स की नई पीढ़ी को...
जो इन सितारों से कंधा मिलाने का सपना देखते हुए घरेलू क्रिकेट खेल रहे थे... आखिर क्या है उनकी खता... जिनके हाथ से छिन जाएगा मौका पाकिस्तान की हरी कैप पहनने का...
पाकिस्तानी क्रिकेटर्स की मौजूदा पीढ़ी की भी क्या है ख़ता? कि महज कुछ सौ किलोमीटर दूर, क्रिकेट की दुनिया का सबसे बड़ा बाजार आईपीएल सजता है... और पड़ोस में बैठे इन खिलाड़ियों को उस बाजार में कहीं जगह नहीं मिलती...
कौन जाने कब अमन कायम होगा.... कौन जाने कब लौटेगी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट... कौन जाने कब तक रहेंगे विरान मैदान...
लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम से फौज का हेलिकॉप्टर, श्रीलंकाई खिलाड़ियों को ही लेकर नहीं उड़ा... इसके साथ उड़ गए हैं पाकिस्तान में क्रिकेटर्स की एक पीढ़ी के सपने... इसके साथ उड़ा है सरहद पार इस खेल के लिए जुनून... इसके साथ उड़ गया है एक जरिया जो खेल की मार्फत अमन कायम कर सकता था....

टिप्पणियाँ

अनिल कान्त ने कहा…
देश का हिस्सा सभी होते हैं और देश की हरकतों सब पर असर पड़ता है .......क्रिकेटर्स भी आम जनता ही है ...


मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
Udan Tashtari ने कहा…


अभी बाकी हैं उम्मीदें
अमन की फिर बहाली की...
अँधेरों में ही दिखती है
चमक असली दीवाली की.



-समीर लाल ’समीर’

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