मुशर्रफ़ के मायने

जो ताकत हासिल नहीं करते ...बल्कि उसे छीन लेते हैं....जो जब चाहे कानून अपनी मुट्ठी में कर लेते हैं....जो जब चाहें पूरे मुल्क को दाव पर लगा देते हैं....जी हां...इन्हें हम और आप तानाशाह कहते हैं... लेकिन क्या ये तानाशाह किसी देश का मुकद्दर भी हो सकते हैं...परवेज मुशर्ऱफ के बारे में दुनिया भले ही अलग-अळग राय रखती हो लेकिन ये भी हकीकत है कि मुशर्ऱफ की हुकूमत के दौरान पाकिस्तान ने तरक्की की....कारगिल युद्ध के पीछे मुशर्ऱफ का हाथ बताया गया....ये भी कहा जा सकता है कि पाकिस्तान अब तक के अपने सबसे मुश्किल दौर से गुज़र रहा है......ऐसे में ये जानना बेहद ज़रुरी है कि आखिर आज के हालात में मुशर्रफ की अपने देश में कितनी अहमियत है...मुशर्रफ का मतलब क्या
बीते जमाने का तानाशाह या आज की कूटनीति का शहंशाह,सत्ता गई,शासन गया लेकिन कम नहीं हुई अहमियत पाकिस्तान में कायम है रूतबा, वो एक बार फिर आए हैं भारत ,दक्षिण एशिया में मची हलचल पर अपने विचार रखने...
पाकिस्तान का अजीमोशान शख्सियत....जिसका कभी पाकिस्तान मे डंका बजता था....जिसे सबसे ताकतवर तानाशाह माना गया....उन्होंने अपने दम पर पाकिस्तान जैसे देश पर लगातार नौ सालों तक शासन किया....पाकिस्तानी फौज को अपनी मुठ्ठी में रखा...आईएसआई की लगाम कसी...तालिबान और अल कायदा जैसे आतंकवादी संगठनों को अपनी मर्जी से इस्तेमाल किया....अमेरिका से रिश्ते सुधारे.....पाकिस्तान के हालात बदले....
लेकिन आज ये शख्स सत्ता से बाहर है.....पाकिस्तान का एक आम शख्सियत बन चुका है....लेकिन फिर भी इसकी अहमियत कम नहीं हुई है....आखिर क्या है मुशर्ऱफ जैसी शख्सियत का राज....क्यों वो इतने खास हो जाते हैं कि दक्षिण एशिया में मची हलचल पर उनके विचार जानने के लिए भारत बुलाया जाता है.....सीआईए का एक अधिकारी अपने रिपोर्ट में कहता है कि अच्छा होता जो पाकिस्तान में मुशर्ऱफ होता.... पाकिस्तान में डेमोक्रेसी लाना एक गलती थी....ये शख्सियत पाकिस्तान की सत्ता से बाहर है....अमेरिका और दूसरे देशों में जाकर लेक्चर देता है...दक्षिण एशिया के बारे में अपने विचार रखता है....और आज भी पाकिस्तान की राजनीति में उतना ही दखल रखता है......
पाकिस्तान में वही सिर्फ एक शख्सियत हैं...जिन्हें भारत समेत पूरे दक्षिण एशिया के गंभीर मसलों की समझ हैं....उन्होंने नौ सालों तक पाकिस्तान में शासन किया है....और वो भी उस वक्त में तब अफगानिस्तान में अमेरिकी कार्रवाई चल रही थी....आतंकवादी मसलों को कैसे सुलझाया जा सकता है...इसकी उन्हें समझ है.... उन्होंने वक्त पड़ने पर तालिबान औऱ अल कायदा जैसे संगठनों को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल भी किया..... और वक्त पड़ने पर अमेरिका के साथ मिलकर उनके खात्मे के लिए कार्रवाई भी की...मुशर्ऱफ कूटनीति के शहंशाह हैं..... शायद अभी के हालात में वो अकेले शख्सियत हैं जिन्हें पाकिस्तान की असलियत की सबसे सटीक जानकारी है....शायद इसलिए कहा जा रहा है कि पाकिस्तान में उनकी पारी अभी खत्म नहीं हुई है....मुशर्ऱफ बाजीगर हैं...वो दोबारा लौट सकते हैं.....एक बार फिर से पाकिस्तान पर हुकूमत करने....

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