महिला, पुरुष के 'पाप' अलग-अलग
कैथोलिक ईसाइयों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था वेटिकन की एक रिपोर्ट के अनुसार जहाँ महिलाएँ पुरुषों के मुक़ाबले अधिक घमंडी होती हैं, वहीं पुरुष अधिक कामातुर होते हैं.
कैथोलिक चर्च के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि महिलाओं में सामान्य 'पाप' घमंड है वहीं पुरुषों में सिर्फ़ सेक्स ही एक ऐसी चीज़ है जो खाने की इच्छा पर भारी है.
ये सर्वेक्षण एक 95 वर्षीय विद्वान फ़ादर रोबर्टो बुसा के सामने कैथोलिक लोगों की पाप की स्वीकारोक्ति यानी कन्फ़ेशन के अध्ययन पर आधारित है.
पोप के निजी धर्मशास्त्री ने वेटिकन समाचारपत्र में इस रिपोर्ट का समर्थन किया है.
एक धर्मशास्त्री ने 'ला-ओसरवैटोर' समाचारपत्र में लिखा है, "महिला और पुरुष अगल-अलग तरह के पाप करते हैं."
उनका कहना है, "जब आप दोष को मुसीबत के तौर पर देखते हैं तो आप देखेंगे कि पुरुष और महिलाएं उसे अलग-अलग तरह से अनुभव करते हैं."
ख़तरनाक पाप
उनका का कहना है कि पुरुषों के लिए सबसे बड़ा पाप वासना, लोलुपता, आलस, क्रोध, घमंड, ईर्ष्या और लालच है.
जबकि महिलाओं में सबसे ख़तरनाक पाप घमंड, ईर्ष्या, क्रोध, वासना और आलस है.
ईसाई परंपरा के अनुसार कैथोलिक लोगों को साल में एक बार पादरी के सामने अपने पाप क़बूल करते हैं और पादरी उन्हें भगवान के नाम पर दोषमुक्त करते हैं.
पारंपरागत रुप से ईसाई धर्म में सात बड़े पाप माने गए हैं. घमंड, ईर्ष्या, लोलुपता, वासना, क्रोध, लालच और आलस.
वेटिकन का वह विभाग जो दोषियों को सज़ा का फ़ैसला करता है, का कहना है कि उसने पिछले साल ख़तरनाक पापों की सूची को संशोधित किया है.
संशोधित सूची में सात आधुनिक पाप को जोड़ा गया है जो कि इस समय बेलगाम वैश्वीकरण के दौर में अहम होते जा रहे हैं.
इसमें आनुवंशिक संशोधन, व्यक्तियों पर प्रयोग, पर्यावरण प्रदूषण, नशीली दवाओं का सेवन और बेचना, सामाजिक अन्याय, ग़रीबी का कारण बनना और धन का लालच शामिल किए गए हैं.
ये रिपोर्ट पाप की स्वीकारोक्ति दर में गिरावट पर वेटिकन की चिंताओं के बीच आया है.
एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार लगभग एक तिहाई कैथोलिक अब स्वीकारोक्ति को ज़रूरी नहीं समझते.
जबकि दस में से एक का मानना है कि स्वीकारोक्ति की प्रक्रिया उनके और भगवान के बातचीत में रुकावट है.
पोप बेनेडिक्ट हर हफ़्ते अपने पाप को स्वीकार करते हैं, पिछले साल स्वीकारोक्ति की दर में गिरावट पर वो अपनी नाराज़गी जता चुके हैं.
उनका का कहना था, "हमलोग पाप की स्वीकारोक्ति के मक़सद को खोते जा रहे हैं, अगर लोग पाप को लगातार स्वीकार नहीं करेंगे, वे अपनी आध्यात्मिक उन्नति को ख़तरे में डाल रहे हैं."
साभार-बीबीसी
कैथोलिक चर्च के एक सर्वेक्षण में पाया गया कि महिलाओं में सामान्य 'पाप' घमंड है वहीं पुरुषों में सिर्फ़ सेक्स ही एक ऐसी चीज़ है जो खाने की इच्छा पर भारी है.
ये सर्वेक्षण एक 95 वर्षीय विद्वान फ़ादर रोबर्टो बुसा के सामने कैथोलिक लोगों की पाप की स्वीकारोक्ति यानी कन्फ़ेशन के अध्ययन पर आधारित है.
पोप के निजी धर्मशास्त्री ने वेटिकन समाचारपत्र में इस रिपोर्ट का समर्थन किया है.
एक धर्मशास्त्री ने 'ला-ओसरवैटोर' समाचारपत्र में लिखा है, "महिला और पुरुष अगल-अलग तरह के पाप करते हैं."
उनका कहना है, "जब आप दोष को मुसीबत के तौर पर देखते हैं तो आप देखेंगे कि पुरुष और महिलाएं उसे अलग-अलग तरह से अनुभव करते हैं."
ख़तरनाक पाप
उनका का कहना है कि पुरुषों के लिए सबसे बड़ा पाप वासना, लोलुपता, आलस, क्रोध, घमंड, ईर्ष्या और लालच है.
जबकि महिलाओं में सबसे ख़तरनाक पाप घमंड, ईर्ष्या, क्रोध, वासना और आलस है.
ईसाई परंपरा के अनुसार कैथोलिक लोगों को साल में एक बार पादरी के सामने अपने पाप क़बूल करते हैं और पादरी उन्हें भगवान के नाम पर दोषमुक्त करते हैं.
पारंपरागत रुप से ईसाई धर्म में सात बड़े पाप माने गए हैं. घमंड, ईर्ष्या, लोलुपता, वासना, क्रोध, लालच और आलस.
वेटिकन का वह विभाग जो दोषियों को सज़ा का फ़ैसला करता है, का कहना है कि उसने पिछले साल ख़तरनाक पापों की सूची को संशोधित किया है.
संशोधित सूची में सात आधुनिक पाप को जोड़ा गया है जो कि इस समय बेलगाम वैश्वीकरण के दौर में अहम होते जा रहे हैं.
इसमें आनुवंशिक संशोधन, व्यक्तियों पर प्रयोग, पर्यावरण प्रदूषण, नशीली दवाओं का सेवन और बेचना, सामाजिक अन्याय, ग़रीबी का कारण बनना और धन का लालच शामिल किए गए हैं.
ये रिपोर्ट पाप की स्वीकारोक्ति दर में गिरावट पर वेटिकन की चिंताओं के बीच आया है.
एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार लगभग एक तिहाई कैथोलिक अब स्वीकारोक्ति को ज़रूरी नहीं समझते.
जबकि दस में से एक का मानना है कि स्वीकारोक्ति की प्रक्रिया उनके और भगवान के बातचीत में रुकावट है.
पोप बेनेडिक्ट हर हफ़्ते अपने पाप को स्वीकार करते हैं, पिछले साल स्वीकारोक्ति की दर में गिरावट पर वो अपनी नाराज़गी जता चुके हैं.
उनका का कहना था, "हमलोग पाप की स्वीकारोक्ति के मक़सद को खोते जा रहे हैं, अगर लोग पाप को लगातार स्वीकार नहीं करेंगे, वे अपनी आध्यात्मिक उन्नति को ख़तरे में डाल रहे हैं."
साभार-बीबीसी
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