जिन्ना का संविधान सभा को संबोधन


पाकिस्तान के कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना ने 11 अगस्त 1947 को कराची में पाकिस्तान की संविधान सभा को अध्यक्ष के तौर पर संबोधित किया था. पढ़िए उस भाषण के कुछ अंश...
न केवल हमें बल्कि पूरी दुनिया को इस बात पर आश्चर्य हो रहा है कि किस तरह दो देश बने. पूरी दुनिया के इतिहास शायद ही ऐसी घटना हुई हो. ......
पहली बात तो ये कहना चाहूंगा कि सरकार का पहला काम क़ानून व्यवस्था पर नज़र रखना है ताकि लोगों के जीवन, संपत्ति और धार्मिक विश्वास की रक्षा हो सके........
मैं जानता हूं कि कई लोग भारत के विभाजन से सहमत नहीं होंगे. इसके ख़िलाफ़ बहुत कुछ कहा भी गया.लेकिन अब यह यथार्थ है. अब यह सबका फर्ज़ है इसे माने..............
मेरे ख्याल से इसके अलावा और कोई चारा नहीं था. मुझे विश्वास है कि इतिहास इसका समर्थन करेगा. अखंड भारत की परिकल्पना कभी साकार नहीं होती और मेरा मानना है कि इसके कई घातक परिणाम होते.....
इस पर अधिक जोर देना नहीं चाहता. अब हमें मिलकर काम करना होगा ताकि बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक जैसी समस्या ही न हो. क्योंकि हिदुओं में भी कई जातियां हैं और मुस्लिमों में भी पठान, सुन्नी, शिया कई वर्ग हैं.

हमें इस आज़ादी से सबक़ लेना चाहिए. पाकिस्तान नाम के इस राष्ट्र में आप सब आज़ाद हैं, अपने मंदिरों में जाने को, अपनी मस्जिदों में जाने को या फिर अपनी किसी भी इबातगाह में प्रार्थना करने को. आप किसी भी धर्म, नस्ल या जाति के हो सकते हैं.. राष्ट्र के काम से इसका कोई लेना देना नहीं. .......
हम सब इसी मूल बात से शुरुआत कर रहे हैं कि हम सभी एक राष्ट्र के समान नागरिक हैं.......... आने वाले समय में आप देखेंगे कि कोई हिंदू हिंदू नहीं रहेगा और न कोई मुसलमान मुसलमान बल्कि उनकी पहचान राजनीतिक रुप से एक देश के एक नागरिक की तरह होगी. धार्मिक रुप से भले ही वो कुछ भी हों.
मैं उम्मीद करता हूं आने वाले समय में पाकिस्तान एक महान देश के रुप में उभरेगा.

टिप्पणियाँ

पत्रकार ने कहा…
आडवाणी बेचारे यूं ही मारे गए.....
Smart Indian ने कहा…
"मैं जानता हूं कि कई लोग भारत के विभाजन से सहमत नहीं होंगे. इसके ख़िलाफ़ बहुत कुछ कहा भी गया.लेकिन अब यह यथार्थ है. अब यह सबका फर्ज़ है इसे माने ..."
" ... और अन्दर की बात यह है की इस पाकिस्तान में हम बंगाली मुसलमानों को २४ साल के अन्दर सबक सिखायेंगे ... और कश्मीरी मुसलमानों का जीना हराम कर देंगे ... और इन अफगान मुसलमानों को तालेबान का गुलाम बनायेंगे ... और ये उर्दू बोलने वाले मुहाजिर - उनको तो ऐसा सबक सिखायेंगे की उनकी कई पुश्तें बंटवारे को रोयेंगी ... खून के आंसू!" jinnaah
बहुत सारी बातें, आजाद भारत में नहीं पढ़ाई जाती और न ही पाकिस्तान में. हमारे नायक और खलनायक जरूरी नहीं वैसे ही हो जैसे हमने पढ़ा-समझा है.

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