तिब्बती विद्रोह की पचासवीं वर्षगाँठ

चीन के ख़िलाफ़ तिब्बत के असफल विद्रोह की पचासवीँ वर्षगाँठ मनाई जा रही है. निर्वासित आध्यात्मिक नेता दलाई लामा धर्मशाला में इस समारोह का नेतृत्व कर रहे हैं.
उधर तिब्बत की राजधानी ल्हासा में चीन ने सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए हैं.
पिछले साल विद्रोह की वर्षगाँठ पर पश्चिमी चीन में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए थे और बाद में यह प्रदर्शन दुनिया के कई हिस्सों में दिखाई पड़े थे.
पचास साल पहले दलाई लामा तिब्बत से निर्वासित होकर भारत आ गए थे.
इसके बाद तिब्बत पर चीनी शासन के ख़िलाफ़ विद्रोह हो गया था.
हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला वो जगह है जहाँ दलाई लामा रहते हैं और जो तिब्बत की निर्वासित सरकार का मुख्यालय भी है.
यहीं विद्रोह की पचासवीं वर्षगाँठ का समारोह मनाया जा रहा है.
दलाई लामा इन समारोहों का नेतृत्व कर रहे हैं.
कार्यक्रम की शुरुआत तिब्बती राष्ट्रगान से होगी और फिर दिन भर कार्यक्रम चलते रहेंगे.
तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रधानमंत्री संधोंग रिनपोचे भी लोगों को संबोधित करेंगे.
दलाई लामा आख़िर में अपनी बात रखेंगे.
दलाई लामा मानते हैं कि चीन के साथ समझौता तिब्बतियों के लिए ठीक होगा और वे उन निर्वासित तिब्बतियों से सहमत नहीं हैं जो चाहते हैं कि तिब्बत को पूरी तरह से आज़ादी मिल जाए.
चीन में सुरक्षा इंतज़ाम
तिब्बतियों के संभावित प्रदर्शनों को देखते हुए चीन ने सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए हैं.
तिब्बत की राजधानी ल्हासा में सड़कों पर पिछले कुछ दिनों से सुरक्षाबल गश्त लगा रहे हैं.
हालांकि स्थानीय प्रशासन का कहना है कि उन्हें लगता नहीं कि तिब्बतियों की ओर से कोई प्रदर्शन होगा लेकिन उनकी तैयारियाँ बताती हैं कि वो कोई अवसर छोड़ना नहीं चाहते.
चीन को पता है कि इस तारीख़ का तिब्बतियों के लिए कितना महत्व है.
इसका सबूत पिछले साल भी मिला था जब पश्चिमी चीन में प्रदर्शनों का दौर शुरु हुआ था जो बाद में हिंसक भी हो गए थे.
विश्लेषक कहते हैं कि तिब्बत में पिछले दो दशकों यह चीन के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी.
चीन ने इन प्रदर्शनों को ध्यान में रखकर अब तिब्बतियों को समझाने की कोशिश कर रही है कि दलाई लामा का निर्वासन उनके लिए अच्छा था.
चीन सरकार का कहना था कि अब वे अपने भाग्य के विधाता ख़ुद हैं।

साभार -बीबीसी

टिप्पणियाँ

बेनामी ने कहा…
भैय्या जी, आप लोग पढे-लिखे लोग हैं। क्यो नही कोई समाधान सुझाते जिस पर चल कर चीन-भारत-नेपाल-पाकिस्तान-बंग्लादेश,श्रीलंका-बर्मा आदि सभी देश मित्रता पुर्वक रह सकें। बिना समाधान तो हम कभी तरक्की नही कर सकते। ये स्साले बिलायती और अमेरिकी हमे लडवाते ही रहेगें........

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