टूटा भ्रम पाकिस्तान का

दुनिया का मंच बदल रहा है और बदल रहे हैं किरदार... अफगानिस्तान में सोवियत संघ के दखल के बाद अमेरिका ने दक्षिण एशिया में नया साथी बनाया पाकिस्तान को...सोवियत संघ तो अफगानिस्तान से निकल गया लेकिन अमेरिका और पाकिस्तान की दोस्ती मजबूत होती चली गई पर ओबामा ने पाक की चालाकी पकड़ ली और साफ कर दिया कि पाक से दोस्ती आतंक से खात्मे के नाम पर ही होगी वीओ 1 ओबामा का राज शायद पाकिस्तान के हुक्मरानों में हड़कंप पैदा करने लगा है....और अमेरिकी प्रशासन की आवाज भारत के लिये मुफीद बन रही है उसकी साफ वजह यही है कि भारत शांति और तालमेल का पक्षधर है इसलिये ओबामा ने कहा है कि भारत उसका सबसे करीबी रणनीतिक दोस्त है यानी भारत और अमेरिका के बीच नजदीकियां बढ़ने लगी है और पाकिस्तान से बढ़ रही हैं उसकी दूरियां...नये अमेरिकी प्रशासन ने ये भी साफ कर दिया है कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान में छुपे आतंकियों का सफाया करने के लिये वो हर कदम उठायेगा और इसके लिये इराक मे पड़ी अमेरिकी सेना को भी पाकिस्तान से सटे अफगानिस्तान के इलाकों में पहुंचाया जायेगा ...अब पाकिस्तान खुद को घिरता महसूस कर रहा है और भारत से अमेरिका की बढ़ रही नजदीकियां उसे खटकने लगी है...अब कश्मीर के मसले पर भी ओबामा ने ये कहकर स्थिति साफ कर दी कि कश्मीर से हमारा कोई लेना देना नहीं है और इस पर भारत की राय साफ है कि वो इस मसले से कैसे निबटेगा यानी अब हर हाल में पाकिस्तान को भारत के साथ मिलबैठकर ही इस मसले को सुलझाना होगा लेकिन कश्मीर पर बोलने का मतलब भी साफ है अमेरिका पाकिस्तान को साफ संकेत देना चाहता है कि आतंक के मसले को कश्मीर से कतई न जोड़ा जाय दोनों दो अलग पहलू है और फिलहाल अमेरिका की नजर अफगानिस्तान और पाकिस्तान में पनाह लिये हुये आतंकियों के सफाये तक सीमित है ..शायद ये भारत को इशारा भी कि अगर आतंकी कश्मीर में पनाह लेते हैं तो इनके सफाये के लिये भारत को हर तरह की रणनीति अपनाने का अख्तियार है...और यही वो सिगनल्स हैं जो पाकिस्तान को महसूस करा रहे हैं कि अमेरिका की उससे दूरियां बढ़ रही है और भारत से नजदीकियां....

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