संजय दत्त के नाम खुला पत्र

यतीश यादव

प्रिय संजय दत्त साहब

आप मुन्नाभाई है...या फिर इस नाम से आजकल जाने जाते है...हाल ही में आपके और आपकी छोटी बहन प्रिया के बीच की तकरार कई दफा सार्वजनिक हुयी...आप ने जब से मान्यता से शादी की है..तब से आपके लोग नाराज लगते है...खैर ये आपका और आपके परिवार का मामला है...और हमको या किसी को कोई हक नही बनता कि वो आपकी ज़ाती ज़िंदगी में दखल दें..लेकिन फिर भी आपको ये खुला पत्र लिखने की सोची...आपने ताल ठोक कर कहा कि पाली हिल या दुनियां में कोई अगर दत्त है तो वो हैं या फिर उनकी पत्नी मान्यता है...बिल्कुल ठीक है...पति यदि पत्नी के साथ खडा ना हो तो ठीक नही..लेकिन आप आगे भी वोल गये कि प्रिया दत्त ना लगाये....उस बहन को दत्त ना लगाने की सलाह दे डाली, जो आपके साथ हर धूप छांव में खडी रही..जिसके लिये मुंबई धमाको के बाद आपने एके-57 तक ले डाली थी.जिसका खामियाजा अभी तक भुगत रहे हैं...वो बहन जिसने आज शादी नही की, और वो आजसे दत्त नही लगा रही..ये दत्त हटवाने का खयाल पहले क्यो नही आया...वो परिवार जो आपके जेल जाने के दौरान हर वक्त आपके साथ खडा रहा...वो परिवार जो आपकी इससे पहले की दो शादियां और दो तलाक में भी आपके साथ खडा रहा...लेकिन आपने तो 49 साल की उम्र में भी शादी करने की जो ठरक लगी , तो हर रिश्ते को ताक पर रख कर शादी कर डाली, अपनी जबान बेटी की नाराजगी भी आपको नही रोक पायी..खैर आप बडे आदमी है...गलतियां करना आपका संवैधानिक हक है...आज आपको समाजवादी पार्टी में दोस्त मिल गये...और मान्यता में सच्चा जीवनसाथी...बस एक चीज, जो परेशान करती है, वो ये कि मान्यता से आपकी ये शादी कब तक टिकी रह पाती है..क्योकि आपका इतिहास तो यही कहता है...कि आप ज्यादा देर तक कही नही रूक पाते...और जब ये मान्यता नही कोई और आपकी शरीके हयात होंगी, तो भी प्रिया, नम्रता और बाकी परिवार के लोग रहेगे...संजय दत्त साहब..खून का रंग इतना हल्का नही होता..कि रिश्ते यो बह जाये...मुझे उस समय का इंतजार है...

आपका
फैन
यतीश

टिप्पणियाँ

Udan Tashtari ने कहा…
सब मिली जुली भगत में राजनितिक ड्रामा है.
आपने आंखों में सच का अंजन डाल दिया, की मुन्नाभाई कुच देख सकें या समझ सकें.

संजय (दत्त लगाने की इच्छा नही होती) अभी भी मुन्ना ही है. आपके अंजन से उसे दिखेगा जिसे आंख होगी. कितना भी मोटा चष्मा लगा ले कोइ, मगर आंख के अंधे को तो दिखेगा ही नही.

चलो कुछ हे दिनों की ही तो बात है. मान्यता की मान्यता अवधि समाप्त होने को ही होगी. बाद में पूछेंगे भाई से.

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