कर्जमाफी के पेंच


चंदन श्रीवास्तव
सरकार ने किसानों का कर्ज माफ करके जो वाहवाही लुटी थी... अब उस पर सवाल खड़े होने लगे हैं... इस कर्जमाफी की योजना में कई ऐसे सूराख हैं... जिनसे किसानों को दी जाने वाली राहत के रिसने की आशंका बन गई हैअब से पहले एक बार और कर्जमाफी का एलान किया गया था...वक्त 1990 का था और कृषिमंत्री देवीलाल थे....उस समय किसानों के 12 हजार करोड़ के कर्जे माफ हुए थे लेकिन यह सरकार सत्ता में नहीं लौटी....अब यूपीए सरकार ने सत्ता में लौटने की मंशा से 60 हजार करोड़ की कर्ज माफी का एलान किया है....लेकिन कई पेंच हैं...यूपीए सरकार का आखिरी बजट.....अगले साल लोकसभा के चुनाव...लेकिन इससे पहले कई सूबों में विधानसभा के चुनाव...गुजरात और हिमाचल की ताजा हार.....पी चिंदबरम के बजट पर इस बार कई कोने से दबाव था..किसानो की आत्महत्या को लेकर हो रही फजीहत के बीच चिदंबरम ने तुरुप का पत्ता चला...बजट भाषण के बीच लोगों को पता चला कि किसानों के उपर से साठ हजार करोड़ के कर्ज माफ कर दिए गए हैं....इस पैकेज के तहत सरकारी बैंक..सहकारी बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक से लिए सभी कर्ज शामिल हैं....कर्जमाफी की मंशा पर सवाल यहीं से शुरु होते हैं...यह कर्जमाफी एक चालाकी है...इस कर्ज माफी से चार करोड़ किसानों को फायदा मिलने की बात कही गई है... लेकिन देश में कुल जोत 12 करोड़ से भी अधिक है...और इसमें बड़े किसान 10 फीसदी से भी कम हैं...रंगराजन समिति की रिपोर्ट कहती है कि केवल 27 फीसदी किसान बैंकों से कर्ज लेते हैं...73 फीसदी किसान साहूकारों और महाजनों से कर्ज लेते हैं...आत्महत्या करने पर मजबूर ज्यादातर किसान भी महाजनों से ही लिए गए कर्ज के चंगुल में हैं..सरकार ने इधर कर्ज माफ किया.. उधर किसानों को मिलने वाले कर्ज के ब्याज में कोई कटौती नहीं की...जबकि राष्ट्रीय किसान आयोग की एक सिफारिश यह भी थी...
कर्ज माफी के इस ढ़ोल की पोल खोलने के लिए एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है...इसमें कहा गया है कि सिर्फ सरकारी बैंक से लिए गए कर्जे माफ हुए हैं....अब जिम्मा सरकार का है कि वह बताए सूदखोरों और निजी बैंक से कर्ज लेने वाले किसानों के लिए उसका खजाना बंद क्यों रहा...देखना ये भी दिलचस्प होगा कि क्या इतिहास अपने आप को दोहराता है कि नही, देवीलाल का जो हश्र हुआ था वो क्या इस सरकार का भी होगा

टिप्पणियाँ

बेनामी ने कहा…
कम शब्दों में पूरी बात.

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