हाथी के दांत और खाने के और
अनुराग पुनेठा
हाल ही में एक अखबार की तीन खबरो ने ध्यान खींचा, सोचने पर मजबूर कर दिया कि लिखूं और लोगो से पूंछू कि वो क्या सोचते है, पहली खबर नेपाल के प्रधानमंत्री गिरजा प्रसाद कोइराला का वो बयान है जिसमें वो कहते है कि हां मैं भारत में रहकर जाली नोट बनाया करता था…हो सकता है कि गिरजा प्रसाद कोइराला की मजबूरी रही हो, लेकिन जिस देश नें उसका खामियाजा भुगता हो, वो क्या करे....एक देश का प्रधानमंत्री यदि ये बयान देता है, तो भारत को क्या करना चाहिये, क्या चुप रहना चाहिये, या कुछ कदम उठाने चाहिये, यदि भारत इसका संज्ञान नही लेता है तो इसके परिणाम गलत होंगे...कल को ओसामा बिन लादेन की जगह कोई और ये कह दे, कि 9/11 की वारदात को उसनें अंजाम दिया था, तो अमेरिका उसको छोड देगा....वही गिरजा प्रसाद कोइराला के साथ भी होना चाहिये,,,,
दूसरी खबर पाकिस्तान के सेना अध्यक्ष के बयान से जुडी है-जनरल कयानी कहते है कि पाकिस्तान में फौज को राजनीति से दूर रहना चाहिये, जनरल कयानी ने अपने सभी अफसरो को खत लिखा है कि वो राजनेताओ से ना मिलें, ये एक बडी खबर है, कि पाकिस्तान सेना का जनरल ये बात कहे, लेकिन सवाल ये पैदा होता है कि जनरल कयानी एसा क्यो कर रहे है. क्या अमेरिका का इशारा है, या परवेज मुर्शरफ का? लेकिन ये एक अहम बदलाव है, पर क्या पाकिस्तानी सेना के हक्मरान मानेंगे....
हाल ही में एक अखबार की तीन खबरो ने ध्यान खींचा, सोचने पर मजबूर कर दिया कि लिखूं और लोगो से पूंछू कि वो क्या सोचते है, पहली खबर नेपाल के प्रधानमंत्री गिरजा प्रसाद कोइराला का वो बयान है जिसमें वो कहते है कि हां मैं भारत में रहकर जाली नोट बनाया करता था…हो सकता है कि गिरजा प्रसाद कोइराला की मजबूरी रही हो, लेकिन जिस देश नें उसका खामियाजा भुगता हो, वो क्या करे....एक देश का प्रधानमंत्री यदि ये बयान देता है, तो भारत को क्या करना चाहिये, क्या चुप रहना चाहिये, या कुछ कदम उठाने चाहिये, यदि भारत इसका संज्ञान नही लेता है तो इसके परिणाम गलत होंगे...कल को ओसामा बिन लादेन की जगह कोई और ये कह दे, कि 9/11 की वारदात को उसनें अंजाम दिया था, तो अमेरिका उसको छोड देगा....वही गिरजा प्रसाद कोइराला के साथ भी होना चाहिये,,,,
दूसरी खबर पाकिस्तान के सेना अध्यक्ष के बयान से जुडी है-जनरल कयानी कहते है कि पाकिस्तान में फौज को राजनीति से दूर रहना चाहिये, जनरल कयानी ने अपने सभी अफसरो को खत लिखा है कि वो राजनेताओ से ना मिलें, ये एक बडी खबर है, कि पाकिस्तान सेना का जनरल ये बात कहे, लेकिन सवाल ये पैदा होता है कि जनरल कयानी एसा क्यो कर रहे है. क्या अमेरिका का इशारा है, या परवेज मुर्शरफ का? लेकिन ये एक अहम बदलाव है, पर क्या पाकिस्तानी सेना के हक्मरान मानेंगे....
टिप्पणियाँ
Pakistan ke naye sena suprimo ke bayan par to yahi kaha ja sakta hai ki bhale hi wo ek dhir-gambhir wyaktitwa waale senadhyksha kahla rahe hon aur rajnitik mamlon par chuppi hi sadhne rahna behtar samjhte hon. lekin unhe is sach ko bhi nahi bhulana chahiye ki aajadi ke baad ke in 60 saalon me unka mulka 50 saal tak sainya sashan ke kabje me raha hai, jisase unki sena ko kursi ka bhi swad lag gaya hai. waise Musharraf to wardi utar kar bhi senasuprimo kaal ke rutbe aur power se jara bhi kam nahi huye hain. Kiyani ko abhi un jaisa kutnitik banane me samay lagega. abhi to unke liye apne aaka Mush aur Mush w Push(Pak) ke Ameriki aaka Bush ka kaha manana hi sahi hoga.
Tisre khabar ka jikra kar ke bhi khabar batana to bhul hi gaye. Lekin khabren sachmuch aapne damdar pakdin thin Sir.