भारतीय क्रिकेट में जातिवाद और ऑस्ट्रेलिया में...?

Sunday, January 6, 2008

-दिलीप मंडल

ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख अखबार सिडनी मॉर्निंग हेरॉल्ड को लगता है कि भारतीय क्रिकेटरों के सेलेक्शन में जातिवाद चलता है। सिडनी मॉर्निंग हेरॉल्ड ने आज खत्म हुए टेस्ट मैच में खेलने वाले क्रिकेटरों की एक गलत-सही टाइप की लिस्ट छापी है। आप लोग भी देख लीजिए :ब्राह्मण - अनिल कुंबले, राहुल द्रविड़, वीवीएस लक्ष्मण, सचिन तेंडुलकर, सौरव गांगुली, आर पी सिंह (?), इशांत शर्माजाट - युवराज सिंहराजपूत - महेंद्र सिंह धोनीमुसलमान - वसीम जाफरसिख - हरभजन सिंह.पूरी खबर के लिए सिडनी मॉर्निंग हेरॉल्ड साइट के इस लिंक पर क्लिक कर लीजिए। इसके साथ एक और लेख पढ़ लीजिए, जो है तो चार साल पुराना, लेकिन क्रिकेट की जाति चर्चा में इसका जिक्र आ रहा है।वैसे भारतीय क्रिकेट में जाति के आधार पर भेदभाव और दलित क्रिकेटर विनोद कांबली (54.20 का एवरेज और 227 का अधिकतम स्कोर) की सिर्फ 17 टेस्ट के बाद विदाई जैसी मार्मिक बातें छापने वाले सिडनी मॉर्निंग हेरॉल्ड के संपादक को मैंने एक मेल डाला है। उसके कुछ हिस्से का हिंदी अनुवाद आपके लिए पेश हैं।- क्या ये सच नहीं है कि यूरोपीय लोगों के आने से पहले ऑस्ट्रेलिया में एक सभ्यता थी। 1788 में वहां साढ़े तीन लाख से लेकर साढ़े लाख मूल निवासी रहते थे।- यूरोपीय लोगों के आने के बाद उनकी संख्या घटने लगी और 1911 आते आते ये संख्या घटकर 30,000 रह गई।- ऑस्ट्रेलिया के तस्मानिया द्वीप में 1803 में 8,000 मूल निवासी रहते थे। यूरोपीय लुटेरों के आने के 30 साल बाद उनकी संख्या 300 रह गई।- ऑस्ट्रेलिया के दो सौ साल के इतिहास में मूल निवासियों के 100 से ज्यादा बड़े आखेट हुए हैं। उन्हें घेरकर, चुनकर हर तरह से मार डाला गया। नरसंहारों की खत्म न होने वाली लिस्ट देखें- ये सिलसिला 1930 तक चला है। आदमी तब तक काफी सभ्य हो चुका था। और गोरे लोग तो खुद को सबसे सभ्य मानते हैं।- आज ऑस्ट्रेलिया की जनगणना के सरकारी आंकड़े बताते हैं कि देश की आबादी में सिर्फ ढाई प्रतिशत मूल निवासी हैं।- लेकिन ऑस्ट्रेलिया की जेलों में 14 परसेंट लोग मूल निवासी हैं।- ऑस्ट्रेलियाई मूल निवासी कम उम्र में मरता है, उसके बेरोजगार रहने के चांस ज्यादा हैं। आंकड़े देखें - इसलिए जाति का गणित कृपया हमें मत समझाइए। जाति से हम लड़ रहे हैं, जीत लेंगे। आप अपनी चिंता कीजिए।ये तो है मेरे पत्र के कुछ प्वायंट। लेकन मुझे भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड से शिकायत है। उसमें दम नहीं है। वरना भारतीय टीम के प्रवक्ता को पूछना चाहिए कि ऑस्ट्रेलिया की टीम में कितने मूल निवासी हैं। लेकिन लगता है कि हमारे अपने घर के कंस्ट्रक्शन में काफी शीशा लगा है। इसलिए पत्थर उछालने का जोखिम हम नहीं ले सकते।
Posted by दिलीप मंडल 0 comments at 11:06 AM

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