बेनजीर के कत्ल के पीछे कौन ??
बेनजीर पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री थी देश के दो बड़े दलों में से एक की मुखिया थीं निसंदेह वो वीवीआईपी की कटेगरी में आती थीं ऐसी शख्सियत के लिये न तो आम गाड़ी हो सकती है और न ही साधारण ड्राइवर जी हां बेनजीर बुलेट प्रूफ गाड़ी में थी ये गाड़ी पार्टी में नंबर दो मकदूम अमीन फहीम की थी जिसे फहीम का ही ड्राईवर चला रहा था तो अब सवाल उठता है कि
1.अब ये ड्राईवर कहां है इसका खुलासा क्यों नहीं किया जा रहा है
फिर वीवीआईपी की ड्यूटी पर रहने वाले ड्राईवर की खास ट्रेनिंग होती है जो इस ड्राईवर की भी हुई थी जिसमें ऐसे हालात में उसे गाड़ी को किसी भी हालत में लेकर भागना होता है और अति महत्वपूर्ण शख्स को जहां तक हो सके बचाना ही उद्देश्य होता है तो फिर
2. गोलियों की आवाज सुनते ही ड्राईवर गाड़ी लेकर भागा क्यों नहीं
जब बेनजीर को गोली लगी और वो सनरूफ से टकरा कर नीचे गिर गई तब भी विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक ड्राईवर करीब दस से बारह मिनट तक गाड़ी वहीं लेकर रहा जिसके बाद बेनजीर को इसी गाड़ी से अस्पताल पहुंचाया गया सवाल नंबर तीन
3. अब तक ड्राईवर से कोई पूछताछ भी नहीं की गई है क्यों
इतने बड़े नेता की हत्या और जांच से जुड़ें तथ्यों से इतनी उदासीनता
4. ड्राईवर के बारे में तो फहीम भी अच्छी तरह जानते होंगे जो अब पीपीपी के उपाध्यक्ष चुने गये हैं फिर वो क्यों खामोश हैं
एक अहम सवाल और मौके पर सुरक्षा के लिये दो गार्ड बेनजीर के साथ थे जिसमें से एक की मौत हो गई
5. लेकिन दूसरा गार्ड कहां है उसकी अब तक सुध क्यों नहीं ली गई जब कि उसके बयान खासे अहम हैं
और वो गोली चलाने वालों के बारे में कुछ रौशनी तो डाल ही सकता है लेकिन रहस्य गहराता जा रहा है
6. एक और सवाल जो मथ रहा है कि आखिर बेनजीर का पोस्टमार्टम क्यों नहीं हुआ
और
7. किसने रोका था बेनजीर के खून से लथपथ शरीर का पोस्टमार्टम करने से ...
पीपीपी ने भी उस समय मांग नहीं कि पोस्टमार्टम जरूरी है लेकिन बेनजीर के पति आसिफ अली जरदारी ने भी अब पोस्टमार्टम कराने से मना कर दिया है पर
8. हैरत की बात है कि उन्होंने भी तत्काल पोस्टमार्टम की बात नहीं की और दफना दिया बेनजीर को ..
आखिर बेनजीर एक घरेलू महिला नहीं थी वो एक पार्टी की मुखिया थी एक समय सरकार की मुखिया रह चुकी थी और फिर सरकार बनाने के लिये जद्दोजहद कर रही थीं तो फिर इन सारे सवालों को नजरअंदाज करने से फायदा किसे हो रहा है और क्यों उनकी मौत पर राजनीति हो रही है .. मुशर्रफ सरकार जो सीधे सीधे उनकी मौत के लिये जिम्मेदार ठहरायी जा रही है वो बौखलाहट में रोज नये नये बयानों से और उलझन पैदा कर रही है और अब उसने अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी से जांच कराने का शिगूफा छोड़ दिया है
1.अब ये ड्राईवर कहां है इसका खुलासा क्यों नहीं किया जा रहा है
फिर वीवीआईपी की ड्यूटी पर रहने वाले ड्राईवर की खास ट्रेनिंग होती है जो इस ड्राईवर की भी हुई थी जिसमें ऐसे हालात में उसे गाड़ी को किसी भी हालत में लेकर भागना होता है और अति महत्वपूर्ण शख्स को जहां तक हो सके बचाना ही उद्देश्य होता है तो फिर
2. गोलियों की आवाज सुनते ही ड्राईवर गाड़ी लेकर भागा क्यों नहीं
जब बेनजीर को गोली लगी और वो सनरूफ से टकरा कर नीचे गिर गई तब भी विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक ड्राईवर करीब दस से बारह मिनट तक गाड़ी वहीं लेकर रहा जिसके बाद बेनजीर को इसी गाड़ी से अस्पताल पहुंचाया गया सवाल नंबर तीन
3. अब तक ड्राईवर से कोई पूछताछ भी नहीं की गई है क्यों
इतने बड़े नेता की हत्या और जांच से जुड़ें तथ्यों से इतनी उदासीनता
4. ड्राईवर के बारे में तो फहीम भी अच्छी तरह जानते होंगे जो अब पीपीपी के उपाध्यक्ष चुने गये हैं फिर वो क्यों खामोश हैं
एक अहम सवाल और मौके पर सुरक्षा के लिये दो गार्ड बेनजीर के साथ थे जिसमें से एक की मौत हो गई
5. लेकिन दूसरा गार्ड कहां है उसकी अब तक सुध क्यों नहीं ली गई जब कि उसके बयान खासे अहम हैं
और वो गोली चलाने वालों के बारे में कुछ रौशनी तो डाल ही सकता है लेकिन रहस्य गहराता जा रहा है
6. एक और सवाल जो मथ रहा है कि आखिर बेनजीर का पोस्टमार्टम क्यों नहीं हुआ
और
7. किसने रोका था बेनजीर के खून से लथपथ शरीर का पोस्टमार्टम करने से ...
पीपीपी ने भी उस समय मांग नहीं कि पोस्टमार्टम जरूरी है लेकिन बेनजीर के पति आसिफ अली जरदारी ने भी अब पोस्टमार्टम कराने से मना कर दिया है पर
8. हैरत की बात है कि उन्होंने भी तत्काल पोस्टमार्टम की बात नहीं की और दफना दिया बेनजीर को ..
आखिर बेनजीर एक घरेलू महिला नहीं थी वो एक पार्टी की मुखिया थी एक समय सरकार की मुखिया रह चुकी थी और फिर सरकार बनाने के लिये जद्दोजहद कर रही थीं तो फिर इन सारे सवालों को नजरअंदाज करने से फायदा किसे हो रहा है और क्यों उनकी मौत पर राजनीति हो रही है .. मुशर्रफ सरकार जो सीधे सीधे उनकी मौत के लिये जिम्मेदार ठहरायी जा रही है वो बौखलाहट में रोज नये नये बयानों से और उलझन पैदा कर रही है और अब उसने अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी से जांच कराने का शिगूफा छोड़ दिया है
राजीव अस्थाना सहारा समय
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