आँधियों के साथ क्या मंज़र सुहाने आये हैं
आज मैदानों में बागों के खज़ाने आये हैं
अब मेरे तलवों के नीचे की ज़मीं आज़ाद है
आसमानों से मुझे बादल बुलाने आये हैं

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