मीडिया कर्मियों के लिए सबक
पटना में दो दिनों (3-4 अगस्त) के अपने प्रवास के दौरान अमिताभ बच्चन ने कई खट्टे-मीठे अनुभव लिए और दिये भी.
वे यहाँ आए तो थे प्रकाश झा निर्देशित नई फ़िल्म 'आरक्षण' के प्रचार के सिलसिले में, लेकिन यहाँ से लौटे अपने अनोखे कलात्मक व्यक्तित्व की छाप छोड़कर.
जो भी सामने दिखा, उनसे फ़िल्मी 'महानायकी' अंदाज़ में नहीं, बल्कि अत्यंत विनम्र और सहज आत्मीय भाव से मिले.
यहाँ तक कि प्रकाश झा के शॉपिंग मॉल और मल्टीप्लेक्स परिसर में तमाशा जैसी भीड़ के बीच आयोजित 'प्रेस कॉन्फ्रेंस' में हास्यास्पद सवालों से भी उनका संयम नहीं टूटा.
वहाँ घुस आए कुछ अति उत्साही युवा मीडियाकर्मी बार-बार कुछ ऐसे अटपटे या मूर्खतापूर्ण सवाल पूछने लगे कि अमिताभ बच्चन कई दफ़ा ख़ुद को असहज होने से बचाने की कोशिश करते दिखे.
एक ने पूछा, ''आप को नहीं लगता कि जब भगवान को एक्टिंग करने का मन किया तो वो आप के रूप में अवतरित हुए?'', इस पर क्या बोलूँ का भाव लिए हुए उन्होंने चुप रहना ही ठीक समझा.
दूसरे ने पूछा, ''कल आप बंगलौर में थे तो क्या उसी शहर में कभी शूटिंग के दौरान अपने साथ हुए हादसे को आपने याद नहीं किया?''
अमिताभ बच्चन इस पर क्षण भर के लिए सोच में पड़ गए और कहा, ''किसी शहर को मैं किसी दुर्घटना के साथ जोड़ करके याद नहीं करता.''
इतने में किसी ने फ़रमाइश कर दी कि अपनी किसी भोजपुरी फ़िल्म का डायलॉग सुनाइए.
जब उन्होंने कहा कि अभी याद नहीं है, तो फ़ौरन किसी ने अनुरोध मारा कि चलिए अपनी फ़िल्म का कोई गाना ही सुना दीजिए.
बिल्कुल अपमान जनक सी लग रही स्थिति को ख़ुद अमिताभ बच्चन ने ही बहुत शालीनता के साथ संभाला.
उन्होंने साथ में बैठे प्रकाश झा और मनोज बाजपेयी समेत तमाम पत्रकारों को हो रही शर्मिंदगी का ख़्याल करते हुए ऐसे सवालों को हंस कर टाल दिया.
हाज़िर-जवाबी
इतने में किसी ने सवाल उछाला, ''मुंबई फ़िल्म उद्योग के सबसे स्मार्ट और अभी भी जवान जैसी आपकी शक्ल-सूरत का राज़ क्या है?''
इस पर उनके अभिनय-कुशल मन से रहा नहीं गया और झट गंवई भाषा और शैली में जो बोले, उसका मतलब था- ये सब आप ने कहाँ से देख लिया ? यहाँ तो बाल-वाल सब सफ़ेद पड़े हैं.
लेकिन बात यहीं रुकी नहीं और ज़ोर से किसी ने सवाल दागा- अच्छा ये तो बताइए कि आप अपने घर में पोती का इंतज़ार कर रहे हैं या पोता का.
इस पर अमित जी ने सहज भाव से जवाब दिया कि वे बेटा या बेटी में भेदभाव नहीं करते.
इस जवाब से प्रश्नकर्ता को संतोष नहीं हुआ और पहले से भी अधिक ज़ोर डालकर पूछा- फिर ये तो बता दीजिए कि ये ख़ुशख़बरी हमलोगों को कब तक मिलेगी?
ये सवाल सुनकर सब सकपका गए, लेकिन अमिताभ बच्चन ने हास्यपूर्ण शरारती मुद्रा में हाथ जोड़कर तपाक से कहा- भाई साहब, मैं गर्भवती नहीं हूँ.
इतना सुनना था कि पूरा सभागार ज़ोरदार ठहाके से देर तक गूंजता रहा.
वे यहाँ आए तो थे प्रकाश झा निर्देशित नई फ़िल्म 'आरक्षण' के प्रचार के सिलसिले में, लेकिन यहाँ से लौटे अपने अनोखे कलात्मक व्यक्तित्व की छाप छोड़कर.
जो भी सामने दिखा, उनसे फ़िल्मी 'महानायकी' अंदाज़ में नहीं, बल्कि अत्यंत विनम्र और सहज आत्मीय भाव से मिले.
यहाँ तक कि प्रकाश झा के शॉपिंग मॉल और मल्टीप्लेक्स परिसर में तमाशा जैसी भीड़ के बीच आयोजित 'प्रेस कॉन्फ्रेंस' में हास्यास्पद सवालों से भी उनका संयम नहीं टूटा.
वहाँ घुस आए कुछ अति उत्साही युवा मीडियाकर्मी बार-बार कुछ ऐसे अटपटे या मूर्खतापूर्ण सवाल पूछने लगे कि अमिताभ बच्चन कई दफ़ा ख़ुद को असहज होने से बचाने की कोशिश करते दिखे.
एक ने पूछा, ''आप को नहीं लगता कि जब भगवान को एक्टिंग करने का मन किया तो वो आप के रूप में अवतरित हुए?'', इस पर क्या बोलूँ का भाव लिए हुए उन्होंने चुप रहना ही ठीक समझा.
दूसरे ने पूछा, ''कल आप बंगलौर में थे तो क्या उसी शहर में कभी शूटिंग के दौरान अपने साथ हुए हादसे को आपने याद नहीं किया?''
अमिताभ बच्चन इस पर क्षण भर के लिए सोच में पड़ गए और कहा, ''किसी शहर को मैं किसी दुर्घटना के साथ जोड़ करके याद नहीं करता.''
इतने में किसी ने फ़रमाइश कर दी कि अपनी किसी भोजपुरी फ़िल्म का डायलॉग सुनाइए.
जब उन्होंने कहा कि अभी याद नहीं है, तो फ़ौरन किसी ने अनुरोध मारा कि चलिए अपनी फ़िल्म का कोई गाना ही सुना दीजिए.
बिल्कुल अपमान जनक सी लग रही स्थिति को ख़ुद अमिताभ बच्चन ने ही बहुत शालीनता के साथ संभाला.
उन्होंने साथ में बैठे प्रकाश झा और मनोज बाजपेयी समेत तमाम पत्रकारों को हो रही शर्मिंदगी का ख़्याल करते हुए ऐसे सवालों को हंस कर टाल दिया.
हाज़िर-जवाबी
इतने में किसी ने सवाल उछाला, ''मुंबई फ़िल्म उद्योग के सबसे स्मार्ट और अभी भी जवान जैसी आपकी शक्ल-सूरत का राज़ क्या है?''
इस पर उनके अभिनय-कुशल मन से रहा नहीं गया और झट गंवई भाषा और शैली में जो बोले, उसका मतलब था- ये सब आप ने कहाँ से देख लिया ? यहाँ तो बाल-वाल सब सफ़ेद पड़े हैं.
लेकिन बात यहीं रुकी नहीं और ज़ोर से किसी ने सवाल दागा- अच्छा ये तो बताइए कि आप अपने घर में पोती का इंतज़ार कर रहे हैं या पोता का.
इस पर अमित जी ने सहज भाव से जवाब दिया कि वे बेटा या बेटी में भेदभाव नहीं करते.
इस जवाब से प्रश्नकर्ता को संतोष नहीं हुआ और पहले से भी अधिक ज़ोर डालकर पूछा- फिर ये तो बता दीजिए कि ये ख़ुशख़बरी हमलोगों को कब तक मिलेगी?
ये सवाल सुनकर सब सकपका गए, लेकिन अमिताभ बच्चन ने हास्यपूर्ण शरारती मुद्रा में हाथ जोड़कर तपाक से कहा- भाई साहब, मैं गर्भवती नहीं हूँ.
इतना सुनना था कि पूरा सभागार ज़ोरदार ठहाके से देर तक गूंजता रहा.
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