वीरू है या तूफान
ये बल्लेबाज़ जब मैदान में उतरता है तो भावनाओं का सैलाब लाता है...स्टेडियम में बैठे हजारों दर्शको के दिल तेज धडकते है...कि अब तूफान आयेगा...तूफान आता भी है...चाहे वो थोडे देर के लिये ही आये...मैदान पर मैदान पर मौजूद विपक्षी उपर वाले का ध्यान करते है...कि बचा लो प्रभू...ये बल्लेबाज ज्यादा देर तक टिक गया तो काम तमाम हो जायेगा...ये वीरू है...वीरेन्द्र सहवाग ...जो जब भी बल्लेबाजी करने उतरे तो अपने ही अंदाज़ में की...उनका वेलोस अंदाज़ ने उनको उंचाईयो पर पंहुचाया तो आलोचनाये भी दिलवायी...कई बार उनका वो शाट खेलते हुये आउट हो जाना जो शायद दुनियां का कोई भी बल्लेबाज उस वक्त ना खेलना चाहे...लेकिन वीरू वीरू है...मन के मौजी , धुन के पक्के...जब भी खेले अपने अंदाज में ...राजकोट में भी वही बीरू थे.. पिच पर घास थी, लगा कि शायद गेंदबाजो को मदद मिले...लेकिन वीरू नें सारे गणित गडबडा दिये,...और ठोक डाले ताबडतोड...लोगो को याद होगा... कि मुंबई में किस अंदाज में उन्होने एक ही दिन में 283 रन ठोक डाले थे...राजकोट के दर्शक भी खुशनसीब रहे ...कि वीरू का बल्ला बोला...और उन्होने... 66 गेंदों में अपना दूसरा तेज़ शतक पूरा किया। ये वीरू के करियर का 11 वां शतक है। वीरू ने ठीक चार साल के बाद घर में किसी वनडे मुकाबले के दौरान शतक लगाया.. ये वीरू की आतिशी पारी का ही कमाल था कि भारत ने 30 ओवरों में एक विकेट के नुकसान पर 261 रन बना लिए थे।...श्रीलंका की पारी में दिलशान और संगकारा भी चले , लेकिन वीरू की पारी का लोगो ने सबसे ज्यादा मनारंजन किया....
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