यादें....याद आती हैं

Gautam sahab
वो यादें
ये पुरानी जीन्स और गिटार तो नही , लेकिन मिलता जुलता ही है

बरसा है पानी खूब,रोज दर रोज़
उस रोज़ के बाद भी
वो उमंग और वो सोंधी खुशबू
फिर ना मिल सकी
देता हूं अंजाम अब शौक को
उसूलन
वो लुत्फ वो मज़ा वो
खुशी फिर ना मिल सकी
मारे है कई पैडल साइकिल पै इश्क के
वो कैंची , वो डंडा , वो कैरियर
फिर ना चल सकी

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