राज के लिये उधेड़बुन’


अभी जब राज के सैनिकों के नव-निर्माण से मुंबई उजड़ रही है, ऐसे समय में भारत की संस्कृति और विभिन्नता का अनूठा उदाहरण भी देखने को मिला।
बात एक फ़िल्म उधेड़बुन की... यह फ़िल्म राज ठाकरे के लिये वाकई एक उधेड़बुन है, क्योंकि जहां वो और उनके जैसे नेता देश को धर्म, जाति, भाषा और संस्कृति के नाम पर बांटने में लगें हैं। वहीं उधेड़बुन नाम की यह लगभग मूक फ़िल्म इन नेताओं से कुछ कहती है।
21 मिनट की इस शार्ट फ़िल्म को बर्लिन फ़िल्म फेस्टिवल में सिल्वर बियर एवार्ड मिला है। फ़िल्म भोजपुरी में है, जिसे सिद्धार्थ सिन्हा नाम के बंगाली युवा ने निर्देशित किया है। अहम् बात... बंगाली निर्देशक के निर्देशन में बनी इस भोजपुरी फ़िल्म के सभी एक्टर्स मराठी हैं।
कम संवादों और नये तरह के Narration की यह फ़िल्म.... आशु नाम के एक ऐसे लड़के के बारे में हैं जो लड़कपन को पीछे छोड़ किशोरावस्था की उधेड़बुन की ओर बढ़ रहा है। उत्तर-प्रदेश के गाजीपुर में जन्में निर्देशक सिद्धार्थ सिन्हा ने इस फ़िल्म को FTII, Pune में अपने ग्रेजुएशन के दौरान बनाया था।
अलग-अलग संस्कृति के लोगों ने पहले भी मिलकर काम किया है....... हमारी फ़िल्मों ने पहले भी प्रतिष्ठित पुरूस्कार जीते हैं.... लेकिन इस बार सबसे ख़ास बात है Timing, जब स्वार्थी लोग भाषा और संस्कृति के नाम पर राजनीति कर रहे हैं... तब फ़िल्म बिल्कुल सही समय पर सम्मान लेकर आई है....
तो राज ठाकरे.... जब विभिन्न संस्कृतियों के पारस्परिक काम का विदेशी भी सम्मान कर रहे हैं.... तो आप भी भिन्न-भिन्न संस्कृतियों के इस देश को इज़्ज़त देना सीखो। और सुनो कि भोजपुरी भाषा..... मराठी अभिनेताओं.... और बंगाली निर्देशक की ‘उधेड़बुन’ आपसे जो कहती है वो कुछ इस तरह है-
“हिन्द देश के निवासी सभी जन एक हैं, रंग रूप वेश भाषा चाहे अनेक हैं”
बचपन में किन्हीं कारणों से अगर आपने इस गीत को नहीं सुना हो (वैसे अगर सुना होता तो आप वो सब नहीं करते जो आप कर रहे हो).... हां तो अगर नहीं सुना हो तो यह यहां आपके लिये उपलब्ध है......
http://www.youtube.com/watch?v=uaTYLy1Jgio


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