You are Our Sonia
अनुराग पुनेठा
सानिया मिर्जा...इधर 10 फीसदी की जादुई रफ्तार से आर्थिक आसमान छूता देश...उधर टेनिस के कोर्ट पर अपने रैकेट से सामने वाले पर किसी राकेट की रफ्तार से गेंद मारती सानिया....दुनिया के कारोबार और सियासत का बादशाह बना अमेरिका और इस अमेरिका की सेरेना विलियम्स की बादशाहत को टक्कर देती सानिया...18 साल की यह नौजवान लड़की...यह लड़की अपने खेल से देश के 52 करोड़ नौजवानों के भीतर उबलते दुनिया को जीत लेने के सपने को हवा देती है...
सानिया मिर्जा ऐश्वर्या राय नहीं है.....जिसे दुनिया जीतने के लिए किसी सजे सजाए मंच पर खूबसूरती का ताज पहनना पड़े...सानिया मीनाकुमारी या मधुबाला भी नहीं है जिसे अपना मुस्लिम नाम छिपाना पड़े...सानिया मिर्जा अभिनय नहीं करती...सानिया कोर्ट में गेंद पर किसी चीते की फुर्ती से प्रहार करती है...सानिया जब खेलती है तो औरत आजाद होती है...खूबसूरती का वह परीखाना झमाक से टूटता है जिसमें औरत को कैद किया जाता है...
कोर्ट मे चीते की तरह घात लगाती सानिया...यह सानिया कठमुल्लेपन से टकराती एक आधुनिक लड़की के प्रतीक में बदल जाती है..सानिया का सवाल फिर एक लड़की का सवाल नहीं रहता..पूरे देश का सवाल बन जाता है...वह तिरंगे के मान और उपमान का सवाल बन जाता है...सानिया जीतती है तो देश जीतता है...आस्ट्रेलिया में होपमैन कप खेलती इस सानिया पर मुकदमा इंदौर में दर्ज होता है...और मणिशंकर अय्यर को कहना पड़ता है---सानिया मैच में इतना मगन थी कि पांव कहां रखना है उसे ख्याल ही ना रहा....एक अदद लड़की से सानिया देश की इज्जत में तब्दील हो जाती है....
सानिया मिर्जा...इधर 10 फीसदी की जादुई रफ्तार से आर्थिक आसमान छूता देश...उधर टेनिस के कोर्ट पर अपने रैकेट से सामने वाले पर किसी राकेट की रफ्तार से गेंद मारती सानिया....दुनिया के कारोबार और सियासत का बादशाह बना अमेरिका और इस अमेरिका की सेरेना विलियम्स की बादशाहत को टक्कर देती सानिया...18 साल की यह नौजवान लड़की...यह लड़की अपने खेल से देश के 52 करोड़ नौजवानों के भीतर उबलते दुनिया को जीत लेने के सपने को हवा देती है...
सानिया मिर्जा ऐश्वर्या राय नहीं है.....जिसे दुनिया जीतने के लिए किसी सजे सजाए मंच पर खूबसूरती का ताज पहनना पड़े...सानिया मीनाकुमारी या मधुबाला भी नहीं है जिसे अपना मुस्लिम नाम छिपाना पड़े...सानिया मिर्जा अभिनय नहीं करती...सानिया कोर्ट में गेंद पर किसी चीते की फुर्ती से प्रहार करती है...सानिया जब खेलती है तो औरत आजाद होती है...खूबसूरती का वह परीखाना झमाक से टूटता है जिसमें औरत को कैद किया जाता है...
कोर्ट मे चीते की तरह घात लगाती सानिया...यह सानिया कठमुल्लेपन से टकराती एक आधुनिक लड़की के प्रतीक में बदल जाती है..सानिया का सवाल फिर एक लड़की का सवाल नहीं रहता..पूरे देश का सवाल बन जाता है...वह तिरंगे के मान और उपमान का सवाल बन जाता है...सानिया जीतती है तो देश जीतता है...आस्ट्रेलिया में होपमैन कप खेलती इस सानिया पर मुकदमा इंदौर में दर्ज होता है...और मणिशंकर अय्यर को कहना पड़ता है---सानिया मैच में इतना मगन थी कि पांव कहां रखना है उसे ख्याल ही ना रहा....एक अदद लड़की से सानिया देश की इज्जत में तब्दील हो जाती है....
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Mahesh kumar