कुछ तो शर्म करो राज ठाकरे
अरविंद झा
राज ठाकरे लगता है कि फिल्मो से काफी प्रभावित लगते हैं।एंग्री यंग मैन की एक्टिंग करते है। हाल ही में जनाब ने पहले छठ पर बयान दे दिया। कि क्या बाहियाद प्रोग्राम है। जाहिर है बिहारी और उपी के भईये बिगड गये। बिगडना लाजिमी भी था। फिर अमिताभ बच्चन पर बरस पडे। कि वो महाराष्ट से प्यार नही करते। अगर करते तो मराठी फिल्मो में काम कर चुके होते।गोया देश भक्ति ना हुयी, मराठी स्तुती हो गयी। तुर्रा ये कि जो अमिताभ की वकालत करेगा उसे मुम्बई में नही घुसने दिया जायेगा। कसम से मारे गुस्से के माथा धूम गया। राजनैतिक मजबूरी सुनी थी, लेकिन कोई इंसान इस पर उतर आयेगा, सोचा नही था। बचपन में किस्से और कहानी पढी थी कि देश में हिंदु धर्म की दुर्गती क्यो हुयी। जानकार बताते है कि ये धर्म जयचंदो और विभीषणो से भरा पडा है। जिन्होने जिस थाली मे खाया उसी में छेद किया। हिंदु धर्म पर जिस तरह मुस्लिमो, ईसाईयो ने हमला किया और नुकसान पंहुचाया है वो एतिहासिक है। सवाल ये नही कि यंहा हिंदुओ के सवा मन जनेऊ को मुद्दा बनाया जाये, कि देखो मुस्लिम कितने जल्लाद है। सवाल ये है कि जब अपने धर में ही एका न हो तो दूसरे को क्या दोष दिया जाये। सिर्फ प्रथ्वीराज को नीचा दिखाने के लिये जयचंद ने महमूद गौरी से हाथ मिला लिया। नतीजा सैकडो साल की गुलामी। उसी तरह धर्म की राजनीति करने वाली शिवसेना खुद हिंदु धर्म के तीज त्याहारो पर ही निशाना साध रही है। राज साहब यदि छठ पर टीका टिप्पणी करोगे तो हो सकता है कि बिहार में गणेश चतुर्थी पर आप्पति हो जाये। लेकिन आप जिन बिहारियो को गाली देते है, वो एसा नही करेंगे। ये बात पक्की है। अरे कम से कम जिस चीज की राजनीति कर रहे हो, उसी पर अपना ईमान तो टिकाओ। लोग सहमत ना भी हों, तो भी मानेगे कि बंदा जबान का पक्का है। वरना मुस्लिम भी हंसेंगे और हिंदु गालियां बंकेगे। क्यो थाली में छेद कर रहे हो।
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