दिल आखिर तू क्यों रोता है

जब जब दर्द का बादल छाया, जब हम का साया लहराया, जब आंसू पलको तक आया,जब ये तन्हा दिल घबराया, हमने दिल को ये समझाया कि दिल आखिर तू क्यूं रोता है, दुनियां मे यू ही होता है, ये जो गहरे सन्नाटे है, वक्त ने सबको ही बांटे हैं...थोडा गम है सबका किस्सा, थोडी धूप है सबका हिस्सा, आंख तेरी बेकार ही नम है, हर पल एक नया मौसम है, क्यूं तू एसे पल खोता है, दिल आखिर तू क्यूं रोता है...

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